وزارت علوم ، تحقیقات و فناوری | لیست موقت نمره | تاریخ چاپ گزارش: 18/11/1392 |
دانشگاه علامه طباطبائی | نیمسال دوم سال تحصیلی 1391 | صفحه: (1) از (1) |
|
ردیف | شماره دانشجوئی | نمره کل | نمره به حروف | رشته دانشجو | * | ** |
1 | 9112447101 | 19 | نوزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
2 | 9112447102 | 15 | پانزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
3 | 9112447103 | 19 | نوزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
4 | 9112447108 | 19 | نوزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
5 | 9112447107 | 15 | پانزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
6 | 9112447104 | 18 | هیجده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
7 | 9112447106 | 18 | هیجده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
8 | 9112447105 | 17 | هفده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
9 | 9112447110 | 17 | هفده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
10 | 9112447109 | 15 | پانزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
11 | 9112447111 | 15 | پانزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش تصمیمگیری و خط مشیگذاری عمومی | 0 | 1 |
استاد محترم لطفا قبل از امضاء صحت لیست نمرات چاپی را کنترل نمائید تائید می نمایم نمرات نسخه جاپی با نمرات نسخه اصلی مطابقت دارد | استاد رضاییمنش - بهروز امضاء ، تاریخ |
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وزارت علوم ، تحقیقات و فناوری | لیست موقت نمره | تاریخ چاپ گزارش: 18/11/1392 |
دانشگاه علامه طباطبائی | نیمسال دوم سال تحصیلی 1391 | صفحه: (1) از (1) |
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ردیف | شماره دانشجوئی | نمره کل | نمره به حروف | رشته دانشجو | * | ** |
1 | 92124314102 | 19 | نوزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
2 | 92124314202 | 16 | شانزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
3 | 92124314203 | 19 | نوزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
4 | 92124314204 | 20 | بیست تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
5 | 92124314118 | 17 | هفده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
6 | 92124314210 | 20 | بیست تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
7 | 92124314106 | 18 | هیجده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
8 | 92124314213 | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 38 | 1 | ||
9 | 92124314107 | 20 | بیست تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
10 | 92124314215 | 20 | بیست تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
11 | 92124314217 | 17.5 | هفده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
12 | 92124314108 | 18.5 | هیجده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
13 | 92124314110 | 18 | هیجده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
14 | 92124314114 | 20 | بیست تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
15 | 92124314115 | 16.5 | شانزده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
16 | 92124314116 | 19 | نوزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
17 | 92124314219 | 16.5 | شانزده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
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دانشگاه علامه طباطبائی | نیمسال دوم سال تحصیلی 1391 | صفحه: (1) از (2) |
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ردیف | شماره دانشجوئی | نمره کل | نمره به حروف | رشته دانشجو | * | ** |
1 | 92124314101 | 13.5 | سیزده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
2 | 92124314201 | 18 | هیجده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
3 | 92124314205 | 16.5 | شانزده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
4 | 91224314117 | 20 | بیست تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
5 | 92124314208 | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 38 | 1 | ||
6 | 92124314103 | 18 | هیجده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
7 | 92124314211 | 2 | دو تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
8 | 92124314104 | 15.5 | پانزده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
9 | 92124314212 | 16 | شانزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
10 | 92124314105 | 19.5 | نوزده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
11 | 92124314214 | 13.5 | سیزده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
12 | 92124314218 | 17 | هفده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
13 | 92124314109 | 16 | شانزده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
14 | 92124314111 | 17.5 | هفده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
15 | 92124314112 | 17 | هفده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
16 | 91124314115 | 4 | چهار تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
17 | 92124314113 | 18 | هیجده تمام | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
18 | 92124314220 | 18.5 | هیجده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
19 | 92124314117 | 17.5 | هفده و نیم | مدیریت دولتی-گرایش منابع انسانی | 0 | 1 |
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دانشگاه علامه طباطبائی | نیمسال دوم سال تحصیلی 1391 | صفحه: (1) از (2) |
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ردیف | شماره دانشجوئی | نمره کل | نمره به حروف | رشته دانشجو | * | ** |
1 | 91124323201 | 17 | هفده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
2 | 91124323101 | 18 | هیجده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
3 | 91124323103 | 18.5 | هیجده و نیم | کارآفرینی | 0 | 1 |
4 | 90124323107 | 15 | پانزده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
5 | 91124323202 | 15 | پانزده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
6 | 91124323106 | 16.5 | شانزده و نیم | کارآفرینی | 0 | 1 |
7 | 91124323108 | 18 | هیجده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
8 | 91124323109 | 15 | پانزده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
9 | 91124323205 | 18.5 | هیجده و نیم | کارآفرینی | 0 | 1 |
10 | 91124323206 | 17 | هفده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
11 | 91124323110 | 18.5 | هیجده و نیم | کارآفرینی | 0 | 1 |
12 | 91124323209 | 18 | هیجده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
13 | 91124323211 | 15 | پانزده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
14 | 91124323212 | 16.5 | شانزده و نیم | کارآفرینی | 0 | 1 |
15 | 91124323214 | 18.5 | هیجده و نیم | کارآفرینی | 0 | 1 |
16 | 91124323216 | 17 | هفده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
17 | 91124323114 | 20 | بیست تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
18 | 91124323115 | 17 | هفده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
19 | 91124323219 | 18 | هیجده تمام | کارآفرینی | 0 | 1 |
استاد محترم لطفا قبل از امضاء صحت لیست نمرات چاپی را کنترل نمائید تائید می نمایم نمرات نسخه جاپی با نمرات نسخه اصلی مطابقت دارد | استاد رضاییمنش - بهروز امضاء ، تاریخ |
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خوب و بد بودن ماههای تولد افراد با یکدیگر قابل استفاده برای ازدواج و رفاقت و شراکت
اسفند
|
بهمن |
دی |
آذر |
آبان |
مهر |
شهریور |
مرداد |
تیر |
خرداد |
اردیبهشت |
فروردین |
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متوسط |
بد |
بد |
عالی |
بد |
عالی |
بد |
خوب |
متوسط |
بد |
متوسط |
خوب |
فروردین |
خوب |
بد |
عالی |
متوسط |
خوب |
متوسط |
خوب |
عالی |
عالی |
متوسط |
متوسط |
متوسط |
اردیبهشت |
بد |
عالی |
خوب |
عالی |
متوسط |
عالی |
متوسط |
عالی |
متوسط |
خوب |
متوسط |
بد |
خرداد |
عالی |
متوسط |
خوب |
بد |
متوسط |
عالی |
عالی |
خوب |
خوب |
متوسط |
عالی |
متوسط |
تیر |
خوب |
خوب |
متوسط |
متوسط |
متوسط |
خوب |
متوسط |
خوب |
خوب |
عالی |
عالی |
خوب |
مرداد |
خوب |
متوسط |
خوب |
بد |
متوسط |
خوب |
عالی |
متوسط |
عالی |
متوسط |
خوب |
بد |
شهریور |
عالی |
بد |
متوسط |
عالی |
متوسط |
خوب |
خوب |
خوب |
عالی |
عالی |
خوب |
عالی |
مهر |
بد |
بد |
بد |
متوسط |
بد |
متوسط |
متوسط |
متوسط |
متوسط |
متوسط |
خوب |
بد |
آبان |
متوسط |
عالی |
متوسط |
عالی |
متوسط |
عالی |
بد |
متوسط |
بد |
عالی |
متوسط |
عالی |
آذر |
متوسط |
متوسط |
متوسط |
متوسط |
بد |
متوسط |
خوب |
متوسط |
خوب |
خوب |
عالی |
بد |
دی |
خوب |
خوب |
متوسط |
عالی |
بد |
بد |
متوسط |
خوب |
متوسط |
عالی |
بد |
بد |
بهمن |
بد |
خوب |
متوسط |
متوسط |
بد |
عالی |
خوب |
خوب |
عالی |
بد |
خوب |
متوسط |
اسفند |
«مدل علم اسلامی» از دیدگاه دکتر عبدالکریم سروش
تلخیص از : بهروز رضائی منش[1]
عبدالکریم سروش در کتاب "علم چیست، فلسفه چیست" (چاپ 14، انتشارات صراط، 1379، صص 115-84) در مبحث "علم و عالم در بینش اسلامی" کوشش نموده تا با دادن اوصاف و ویژگیهایی فراگیر "علم اسلامی" را توصیف کند. اوصاف «مدل علم اسلامی» از نظر سروش به شرح زیر می باشد:
1- « وارث نبی بودن عالمان»، به استناد حدیث معتبر «العلماء ورثهُ الانبیاء» (عالمان وارثان پیامبرانند). به این فکر کنید که چه چیزی جز صفت هدایتگری است که از سوی انبیاء به عالمان به ارث می رسد؟
2- «خشیت خدا داشتن عالمان» به استناد: «انما یخشی الله من عبادهِ العلماء» (فاطر:28) (یعنی از بندگان تنها عالمان خشیت خدا را دارند) و این سخن امیرالمومنین که «و حسبک من العلم ان تخشی الله و حسبک من الجهل، ان تُعجب بعلمک» (یعنی آن که علم را علم می کند خشیت است و آن که علم را جهل می کند، عجب و خویشتن بینی است).
3- « هدایت گری علم»: به استناد «من ازدد علماً و لم یزدد هدی، فقد ازداد من الله بعداً» (یعنی هر کس علم او افزونی گیرد اما هدایت او افزون تر نشود، دوری او از خداوند بیشتر شده است). بدین معنا که اگر علمی هدایتگری نداشته باشد، علم نیست و جهل است.
4- « وحدت علم و عالم در اسلام»: در اسلام علم و عالم با هم وحدت دارند. بنابراین اگر عالم بیطرف نبود، علم هم بیطرف نخواهد بود.
5- «ذومراتب بودن علم در اسلام»: به استناد «لو علم ابوذر ما فی قلب سلمان لکفّره او قتله»( اگر ابوذر می دانست در دل سلمان چه می گذرد، او را تکفیر می کرد یا او را می کشت). و نیز «و اذ لم یهتدوا به فسیقولون هذا افک قدیم» (احقاف:11). (یعنی وقتی که خودشان به چیزی راه نیابند، می گویند باطل است، کفر است، افسانه است). و یا امام علی (ع) به فرزندش حسین(ع) و پیش از او به حسن(ع) این امر را توصیه کرده بود: «جواهر علمی (جوهرِ علم) نزد من است که اگر من آنها را آشکار کنم به من خواهند گفت که تو بت پرستی و کسانی از مسلمانان ریختن خون مرا مباح خواهند شمرد و این کار بسیار قبیح را پسندیده خواهند دانست(المحجّه البیضاء، ج1، ص65).
6- «صُمت و حلم اور بودن علم اسلامی»: ما (در تفکر اسلامی) علم را علم نمی شناسیم، مگر اینکه صمت آور و حام آور باشد. پیامبر نیز فرمود: «ما جمع شیء الی شیء افضل من حلم الی علم» یعنی هیچ مقارنتی افضل از مقارنت علم و حلم نیست. و حلم همان تسامح و تحمل و زدودن تعصب است. و صمت هم سکوت و صامت بودن عالم است. و نگوید مگر از سر ضرورت و هدایتگری و نه از سر هوای نفس.
7- « علم اسلامی علم نافع» است: پیامبر(ص): نعوذ بالله من علم لا ینفع، یعنی پناه می برم از علمی که نافع نیست. امیرالمومنین (ع) نیز دربارة متقین (خطبة 184) گفته اند که: غضوا ابصارهم عمّا حرّم الله علیهم، و وقفوا اسماعهم علی العلم النافع لهم، یعنی متقین چشمان را از محرّمات می بندند و گوششان را تنها به علم نافع می دهند. پیامبر (ص) نیز فرموده اند: العلم علمان، علم علی اللسان، فذلک حجه الله عزّ و جلّ علی ابن آدم، و علم فی القلب، فذلک العلم النافع، یعنی علوم زبانی (اکتسابی) داریم و علوم قلبی (لدنی) داریم که این دومی علم نافع است(المحجه البیضاء، ج1، ص125). پس علم مضر همان علم مضل است و علم هادی همان علم نافع است.
8- «علم اسلامی قدرت تمیز حق از باطل ایجاد می کند»: قرآن کریم می فرماید: «و یری الذین اوتوا العلم الذی انزل الیک من ربک هو الحق» (سبا:6)؛ یعنی اهل علم خواهند یافت که آنچه بر تو نازل شده است، حق است. و نیز قرآن به ما می گوید: «شهد الله انه لا اله الا هو و الملائکته و اولوا العلم قائماً بالقسط» (آل عمران:18) یعنی صاحبان علم همراه با ملائکه شهادت به وحدانیت خداوند می دهند. اگر علم چنین صفاتی را با خود نداشته باشد، علم اسلامی محسوب نمی شود و کسی هم که صرفاً این علوم را بداند و فاقد صفات یاد شده باشد عالم نامیده نمی شود. بنابراین در عالم رفته رفته گرایشی به طرف تمیز حقانیت وحی و همچنین تمیز وحدانیت خداوند پیدا شود. و همة اینها البته در همان حق یابی، در نور بودن و در هدایت بودن علم نهفته است.
9- «علم اسلامی علم ایمن است»: علی (ع) به کمیل گفت: مردم سه دسته اند یا عالم ربانی اند، یا دانشجویان راهرو نجات اند و یک دسته هم پشه های پراکنده در فضا هستند که به هر طرف باد بیاید به همان طرف می روند. سپس فرمود: « إِنَّ هَاهُنَا لَعِلْماً جَمّاً» یعنی در اینجا -در سینة من- علم انبوهی هست. «لو اصبت له حمله» یعنی ای کاش حاملانی برای این علم پیدا می کردم. سپس فرمود «بلی اصبت لقنا غیر مأمون علیه» بله! آدم های تیزهوش پیدا می شوند، ولی آدمهای امینی نیستند که بشود علم را به دستشان سپرد؛ امین علم نیستند.
10- «علم اسلامی تابع امیال و شهوات عالم نیست»: آن حضرت در ادامة سخنان خود به کمیل گفتند: «او منهوماً باللذه سلس القیاد للشهوه» (و یا کسانی اند که به سهولت تن به امیال خودشان می دهند.)
11- «علم تجاری یا تاجرانه یا سوداگرانه که ابزار و وسیله ای در دست ثروت اندوزان دنیاپرست است، علم اسلامی نیست»: «او مغرماً بالجمع و الادخار» (و یا ثروت اندوزان دنیاپرستند.) «کذلک یموت العلم بموت حاملیه» (که اگر چنین پیش برود دیگر علمی بر جا نخواهد ماند و با مرگ حاملان راستین اش علم خواهد مرد.)
12- «علم نوری که بصیرت آور، یقین آور و غیراکتسابی است، علم اسلامی است». امیرالمومنین (ع) دارند که : «اللهم بلی! لا تخلوا الارض من قائم لله بحجه»، یعنی آری بخدا زمین از حجت خدا خالی نمی ماند. (سپس در وصف این حجت های الهی فرمودند) : «هجم بهم العلم علی حقیقه البصیره و باشروا روح الیقین» یعنی (این افراد کسانی هستند که) علم همراه با بصیرت به آنان هجوم می آورد (و اینان غافلگیر علم می شوند=علم لدنی و نوری و غیراکتسابی است. آنان به سراغ علم نمی روند، علم به سراغ آنان می آید، علم بر آنان می تابد و آنان را فرا می گیرد، ما در برابر این هجوم منفعلیم. بومی می شویم که او در ما نقاشی می کند و در ما اثر می گذارد). روح یقین با وی همنشین می شود. این همان معنای هدایتگری علم اسلامی است که گفتیم. زیرا نور عین هدایت است. مگر هدایت چیزی جز روشنایی و نور است. این نور ما را روشن می کند. روشن شد! این همان معنای علم خشیت آور است. چون وقتی بر فرد هجوم می آورد فرد در برابر عظمتش کاری نمی تواند کند جز اینکه به زانو بیافتد و به سجده بیافتد و به گریستن بپرداز و به سکوت در آید و از دیدن آنچه (جمالی) که می بیند مبتهج شود. (این افراد تنها خور هم هستند!!!). امام جعفر صادق (ع) می فرمایند: لیس العلم بالتعلّم، انّما هو نور بقع فی قلب من یرید الله تبارک و تعالی ان یهدیه. یعنی «علم زیاد خواندن نیست، بلکه نوری است که خداوند در دل بعضی از افراد می افکند تا هدایت را نصیب آنان کند. (شیخ بهایی این حدیث را در داستان ملاقات «عنوان بصری» با امام صادق (ع) بیان کرده است). اگر این علوم رسمی و رایج، روح ما را سراپا طلب و وجود ما را سراپا چشم نکنند، آن نور در ما نخواهد تابید. و اگر این قیل و قالها گوش را از شنودن نوای آن محبوب باز دارند، حقا که جهلی و خلائی از آن بالاتر نخواهد بود.
به قول شیخ بهایی:
علمِ رسمی، سر به سر قیل است و قال-------- نه از او کیفیتی حاصــل، نه حـــال
عـلم نبود غیر علم عاشــــقی--------- ما بقی تلبــیس ابلیــس شــقی
دل که فارغ شد ز مهر آن نگار --------- سنگ استنجای شـیطانش شـــمـار
وین علوم و این خیالات و صور -------- فضلة شــیطان بود بر آن حـــجر
شرم بادت زانکه داری، ای دغل! ---------- سنـگِ استـنجای شـیطان در بغل
چند چند از حکمتِ یونانـیان ---------- حکمتِ ایمانیان را هـم بـخوان
لوح دل از رجسِ شیطانی بشـوی ----------- ای مدرس! درسِ عشقی هم بگوی
از اینجاست که موضع و موقعیت همة علوم رایج از فلسفه تا فیزیک، در اسلام دانسته می شود. فضای ضمیر اگر روشن شد، این علوم رسمی هم منور و معطر می شود. و اگر فضای ضمیر ظلمانی بود، این علوم زبانی هم جز بر ظلمت نمی افزایند. اگر علوم نور نیاورند، اگر موجب تاریکی باشند، اگر ذره ای از غرور صاحب این علوم کم نشده باشد، ذره ای صمت و هدایت به او افزوده نشده باشد، ذره ای روشنایی در او پیدا نشده باشد، و به قول مولانا اگر این علوم بجای اینکه مرکب او باشند، راکب او و سوار او شوند و او را سنگین بارتر کنند، آنجاست که نام علم نهادن بر آنها جائز نیست. هر چه هستند «علم» نامیده نمی شوند؛ باری هستند بر دل یا تفریحی و بازی ای هستند برای اهل دنیا، و یا مشغله ای هستند برای ذهن بازیگر. اما راهگشا و جانفزا و هدایت بخش و طهارت زا و مایة سبک سیری (راحت پرواز روح کردن) و روشن روانی هرگز نیستند. آن علوم از جنس تقلیدند نه تحقیق. برای فروش اند نه آوای سروش. و پیداست که آنچه در صاحب (آن) ایجاد می کنند جز توقع و جز تکبر و جز خودنمایی و مشتری یابی هیچ نیست.
در حالی که می دانیم "علم غربی" بر اساس آرای بیکن و نیچه دارای اوصافی چون نیروطلبی و خواست قدرت و چیرگی و سلطه است و در نسبت به اخلاق و ارزش بی طرف است و نسبت به آنها استقلال دارد. غربیان به جسمِ علم و علمِ جسم قانع اند و ما مسلمین باید به چشمِ علم و علمِ چشم بیاندیشیم:
علم های «اهلِ دل» حمّالـشان ----- علم های «اهلِ تن» اَحمالشان (مثنوی، دفتر اول، بیت 3452)
هین مکش بهرِ هوی آن بارِ علم ------ تا ببینی در درون انبارِ علم (مثنوی، دفتر اول، بیت 3457).
خوب و بد بودن ماههای تولد افراد با یکدیگر قابل استفاده برای ازدواج و رفاقت و شراکت
اسفند
| بهمن | دی | آذر | آبان | مهر | شهریور | مرداد | تیر | خرداد | اردیبهشت | فروردین |
|
متوسط | بد | بد | عالی | بد | عالی | بد | خوب | متوسط | بد | متوسط | خوب | فروردین |
خوب | بد | عالی | متوسط | خوب | متوسط | خوب | عالی | عالی | متوسط | متوسط | متوسط | اردیبهشت |
بد | عالی | خوب | عالی | متوسط | عالی | متوسط | عالی | متوسط | خوب | متوسط | بد | خرداد |
عالی | متوسط | خوب | بد | متوسط | عالی | عالی | خوب | خوب | متوسط | عالی | متوسط | تیر |
خوب | خوب | متوسط | متوسط | متوسط | خوب | متوسط | خوب | خوب | عالی | عالی | خوب | مرداد |
خوب | متوسط | خوب | بد | متوسط | خوب | عالی | متوسط | عالی | متوسط | خوب | بد | شهریور |
عالی | بد | متوسط | عالی | متوسط | خوب | خوب | خوب | عالی | عالی | خوب | عالی | مهر |
بد | بد | بد | متوسط | بد | متوسط | متوسط | متوسط | متوسط | متوسط | خوب | بد | آبان |
متوسط | عالی | متوسط | عالی | متوسط | عالی | بد | متوسط | بد | عالی | متوسط | عالی | آذر |
متوسط | متوسط | متوسط | متوسط | بد | متوسط | خوب | متوسط | خوب | خوب | عالی | بد | دی |
خوب | خوب | متوسط | عالی | بد | بد | متوسط | خوب | متوسط | عالی | بد | بد | بهمن |
بد | خوب | متوسط | متوسط | بد | عالی | خوب | خوب | عالی | بد | خوب | متوسط | اسفند |
طالع بینی ازدواج(متولد چه ماهی با چه ماهی ازدواج کنه؟) |
پیشنهاد تاسیس وزارتخانه ازدواج و طلاق
نماینده شهرستانهای رباط کریم و بهارستان در مجلس گفت: در زمینه مسئله طلاق و ازدواج طرح جامع و کارشناسی شده تنظیم و به مجلس ارائه خواهد شد که وزارتخانه و سازمانی با عنوان وزارتخانه طلاق و ازدواج تشکیل شود.
ابراهیم نکو در گفتگو با مهر ضمن تاکید بر راه اندازی چنین وزارتخانه ای اظهار داشت: متاسفانه در خصوص مسئله ازدواج و طلاق تاکنون هیچ سازمان یا وزارتخانه ای بطور مستقل نتوانسته اند اقدامی در راستای جلوگیری از میزان طلاقهای بی رویه داشته باشند.
وی با اشاره به اینکه در این خصوص لوایحی تنظیم و به مجلس ارائه خواهد شد، افزود: امروز ما در خصوص مسئله ازدواج و طلاق، خیلی غافل شده ایم و همین غفلت منجر به افزایش میزان طلاق نسبت به ازدواج شده و این آمار برای یک کشور اسلامی خوشایند نیست.
عضو هیئت رئیسه کمیسیون اقتصادی مجلس شورای اسلامی عنوان کرد: نباید از برخی واقعیتهای امروز جامعه که بنیان خانواده ها را سست و در نتیجه منجر به طلاق می شود، غافل شد و کوتاهی کرد.
این مسئول ادامه داد: نمایندگان مجلس به عنوان قانون گذار در خانه ملت در آینده باید پاسخگوی فرزندان طلاق باشند و قطع یقین آنان در آینده ما را به شدت باز خواست خواهند کرد.
به مناسبت سالگرد ۲۱ آذر ۱۳۲۴
نامه تاریخی استالین به پیشه وری
به
رفیق پیشه ورى
بنظر
میرسد شما دربررسى وضع داخلى ایران و همچنین بُعد بین المللى مسئله دچار اشتباه
شده اید.
اولا:
شما میخواهید تمام خواست هاى انقلابى خلق آذربایجان فورا برآورده شوند. و لیکن
شرایط فعلى، تحقق این برنامه را غیر ممکن میسازد. لنین خواست هاى انقلابى را بصورت
خواست هاى عملى – تکرار میکنم: بصورت خواست هاى عملى
مطرح میکرد و این کار را زمانى انجام میداد که کشور در حال گذار از تجربه یک بحران
انقلابى در اثر جنگى ناموفق با دشمنى خارجى باشد. این وضع در سال ١٩٠٥ هنگام جنگ
ناموفق با ژاپن و در سال ١٩١٧ هنگام جنگ ناموفق با آلمان موجود بود. اینجا شما
میخواهید از لنین پیروى کنید. این، چیزى بسیار خوب و قابل تحسین است.
اما
وضع کنونى ایران کاملا فرق میکند. در ایران هیچ وضع عمیقا انقلابى موجود نیست. در
ایران تعداد کارگران کم است و آنها سازماندهى خوبى ندارند. دهقانان ایران هنوز
فعالیت جدى از خود نشان نمیدهند. ایران در حال جنگى بر علیه دشمن خارجى نیست که
باعث تضعیف دایره هاى انقلابى (حکومتى؟ -مترجم) از طریق یک شکست نظامى شود. نتیجتا
در ایران شرایطى که کارآمد بودن تاکتیک هاى سال هاى ١٩٠٥ و ١٩١٧ را تائید کند
موجود نیست.
ثانیا:
مطمئنا اگر قواى شوروى در ایران باقى میماندند شما میتوانستید روى موفقیت در امر
خواست هاى انقلابى خلق آذربایجان حساب کنید. اما ما دیگر نمیتوانستیم نیروهاى
شوروى رادر ایران نگهداریم و آن هم در وهله نخست بدین سبب که ادامه حضور آنها در
ایران بنیاد سیاست هاى آزادسازانه ما در اروپا و آسیا را مختل میکرد. بریتانیائى
ها و آمریکائى ها به ما گفتند اگر نیروهاى شوروى میتوانند در ایران بمانند در
آنصورت چرا نیروهاى بریتانیا در مصر، سوریه، اندونزى، یونان و بهمین ترتیب نیرو
هاى آمریکا در چین، ایسلند و دانمارک نتوانند بمانند. از این جهت ما تصمیم گرفتیم
نیروهارا از ایران و چین بیرون ببریم تا اینکه این بهانه را از دست بریتانیائى ها
و آمریکائیها بگیریم، جنبش آزادیبخش در مستعمرات را دامن بزنیم و بدین ترتیب سیاست
آزاد سازى خود را حق بجانب تر و موثر تر نمائیم.
ثالثا:
با این تفاسیر در رابطه با وضع ایران میتوان چنین نتیجه گیرى کرد: در ایران بحران
عمیق انقلابى وجود ندارد. در ایران اوضاع جنگى با دشمنان خارجى موجود نیست که در
نتیجه یک شکست نظامى ارتجاع تضعیف شود و باعث بحران گردد. تا مدتى که قواى شوروى
در ایران بودند شما فرصت دامن زدن به مبارزه در آذربایجان و سازماندهى یک نهضت
گسترده دمکراتیک با خواست هاى همه جانبه را دارا بودید. اما نیروهاى ما میبایست
ایران را ترک میکردند و چنین هم کردند. آنچه در ایران میبینیم چیست؟ ما در اینجا
شاهد نزاعى بین حکومت قوام و دوایر طرفدار انگلیس ایران هستیم که نماینده ارتجاعى
ترین عناصر ایران هستند. قوام در گذشته هر قدر هم که ارتجاعى بوده باشد، باید
امروزه براى حفظ خود و حکومتش بعضى اصلاحات دمکراتیک را انجام داده و حمایت نیروهاى
دمکراتیک ایران را جلب کند. تاکتیک ما در چنین شرایطى چه باید باشد؟ بنظر من ما
باید از این نزاع استفاده کنیم تا اینکه از قوام امتیاز بگیریم، از او حمایت کنیم
تا نیروهاى طرفدار انگلیس را منزوى نمائیم و زمینه اى براى ادامه دمکراتیزه کردن
ایران را مهیا کنیم. تمام توصیه هاى ما به شما مبتنى بر این تشخیص است. البته در
پیش گرفتن تاکتیک دیگرى هم ممکن بود: تف کردن به همه چیز، قطع رابطه با قوام و با
این ترتیب تضمین پیروزى مرتجعین طرفدار انگلیس. اما این دیگر نه یک تاکتیک بلکه
حماقت میبود. این درواقع خیانت به امر خلق آذربایجان و دمکراسى ایرانى میبود.
رابعا:
طورى که شنیده ام شما میگوئید که ما شما را ابتدا به عرش اعلا بردیم و سپس به قعر
ادنى پرت کرده به شما بى احترامى نمودیم. اگر این شنیده هایم درست باشد، براى ما
جاى تعجب است. واقعا چه اتفاقى افتاده است؟ در اینجا ما تکنیکى را بکار برده ایم
که هر انقلابى با آن آشناست. در هر شرایطى که شبیه شرایط امروز ایران باشد، اگر
کسى بخواهد حد اقل معینى از طلب هائى را از حکومت بدست آورد، در آنصورت جنبش باید
به راه خود ادامه دهد، از خواست هاى حد اقل فراتر رود و خطرى (فشارى، -مترجم) براى
حکومت ایجاد کند تا اینکه دادن امتیاز از سوى حکومت تامین گردد. اگر شما خیلى پیش
نمیرفتید در شرایط کنونى ایران نمیتوانستید به اهدافى (امتیازاتى، -مترجم) نائل
شوید که حکومت قوام امروزه ناچار به تامین آن است. قانون جنبش انقلابى همین است.
بى حرمتى به شما اصلا و ابدا مطرح نیست. بسیار عجیب است که شما تصور میکنید ما شما
را آلوده به لکه ننگ و بى احترامى کرده ایم. بر عکس، اگر شما عاقلانه رفتار کنید و
با حمایت معنوى ما خواهان قانونى شدن وضع واقعى و فعلى در آذربایجان شوید در
آنصورت هم آذرى ها و هم ایران به شما بعنوان پیشاهنگ جنبش مترقى و دمکراتیک در
خاورمیانه احترام خواهد گذاشت.
ى.
استالین
تعریف جامع و کامل از کارمندکارمند موجودی است گوش به زنگ که مدام مال و اموال دیگران را می شمارد.دائم به فکر کار دوم است.از غذا همیشه ناراضی است .جملاتش شرطی بوده و معمولا با " اگر من اینطور بودم، اگر اینجوری بود، اگر مجرد بودم و اگر ...." شروع می گردد ولی به هیچ چیز مثبت قابل لمسی ختم نمی شود.همیشه دوستانی دارد که موفق و پولدار شده اند.حسرت گذشته را می خورد که چرا زمین و ملک و طلا نخریده (بعد از هر افزایش ناگهانی یادش می افتد).ناراحتی کم پولی و زندگی سخت خود را با دیدن در باز دستشویی به سرعت فراموش می کند و خیلی خوشحال می شود.همیشه دیر می رسد (به هر چیزی که فکر کنی) .بازنده هر معامله خارج از محل کار خود است.(هارت و هورتش مال همکارانش است).برای سلامتیش خیلی احتیاط می کند اما همیشه شکم دارد، کمر درد دارد و کچل می شود.اگر دست به کار بزرگی بزند مثلا یک ماشین با کلاس بگیرد تا مدت ها هر ماه کم می آورد.هنوز کلاس زبان می رود.هی می خواهد از مملکتش برود ولی هی شرایط سخت تر می شود.معلوم نیست در زندگی در چه چیزی استعداد دارد و یا علاقه مند چیست (بسته به شرایط و جو حاکم، علایق و استعدادش در حال تغییر است).با دیدن یک ساختمان شیک همیشه به این موضوع فکر می کند که اگر این ساختمان مال خودش بود دیگر هیچوقت کار نمی کرد ( و خیلی سریع تعداد واحدها در هر طبقه ضربدر تعداد طبقات ضربدر حدود مبلغ اجاره هر واحد).هر زمانی که به کارمند مراجعه کنی می خواهد تا آخر سال (همان سالی که به او مراجعه کردی) از شرکت برود و تو و همه آدم های ذلیل را به حال خودش بسپارد. و تو هم مدت ها به خاطر حرفهاش احساس پوچی و ذلالت میکنی!!!تمام هم و غمش اینست که چرا از توانایی ها و استعدادش استفاده نمی شود.فکر می کند با هر چای سبز کیسه ای که می خورد چه خدمتی به سلامتی بدنش می کند